Sunday, September 3, 2017

द्यावा-पृथिवी

ऋगवेद से 14 द्यावा - पृथिवी अंतरिक्ष में चंद्रमा तथा उससे ऊपर द्युलोक में सूर्य सतत धावमान हैं।अंतरिक्ष वाष्पमय है।पृथिवी का प्रभाव वायुमण्डल तक ही सीमित है।इस वायुमण्डल के ऊपर अंतरिक्ष का आरंभ होता है। हे द्युलोक एवं पृथिवी! हमसब उसके ऊपर की सुनहली विद्युत तरंगों को भी जानें। जो लोग किसी उद्देश्य से प्रेरित हो कर कार्य करते हैं, वे उसे प्राप्त कर लेते हैं। युवती उपयुक्त पति प्राप्त कर लेती है और दोनों मिलकर संतान प्राप्त कर लेते हैं। हे द्युलोक! हे पृथिवी ! आप हमारी भावनाओं पर ध्यान दें।आप हमारा अभिवर्धन करें। हे देवगण! हमारी तेजस्विता में कभी कोई कमी न हो।हमारा लक्ष्य सदा अग्रगामी हो।हमारा निवास सदा ऐसे स्थान पर हो, जहाँ सोम भी हों।हे पृथिवी ! आप हमारी भावनाओं पर ध्यान दें।आप हमारा अभिवर्धन करें। हे अग्निदेव! हमारे सरल भावरूपी शाश्वत नियम कहाँ लुप्त हो गये? वे कौन से नये पुरुष हैं , जो प्राचीन नियमों का निर्वाह करते हैं? हे द्युलोक!हे पृथिवी! हमारी जिज्ञासाओं को शांत करें। हे देवों! पृथिवी, अंतरिक्ष एवं द्युलोक , इन तीनों में से आपका निवासस्थान द्युलोक है।आपका मायामुक्त ,सच्चा स्वरूप क्या है? आपने सृजनयज्ञ में जो आहुति डाली, वह कहाँ है?हे द्युलोक! हे पृथिवी! आप हमारी जिज्ञासाएँ शांत करें। आपके सत्य-निर्वाह के नियम क्या हैं? वरुण की व्यवस्था क्या है? सूर्य(अर्यमा) के मार्ग कौन - कौन से हैं?हे पृथिवी आप हमारी भावनाओं पर ध्यान दें।आप हमारा अभिवर्धन करें ताकि हम दुष्ट शक्तियों से सुरक्षित रहें। मदनमोहन तरुण

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