Tuesday, January 8, 2013


 30 KAUTILYA’S   ‘ARTHASHAASTRA’

MadanMohan Tarun


Befitting

अपराधानुरूपो दण्डः। कथानुरूपं प्रतिवचनम्। विभवानुरूपाभरणम् ।
कुलानुरूप वृत्तम।कार्यानुरूप प्रयत्नः। पात्रानुरूप दानम्।वयोनुरूप वेषः।

जैसा अपराध हो ,वैसा ही दण्ड दिया जाना चाहिये। जो पूछा जाए उसी का उत्तर देना चाहिए।
सम्पत्ति के अनुसार ही अलंकार धारण करना चाहिए। कुल के अनुसार ही आचरण होना चाहिए।
जो जितने के योग्य हो उसे उतना ही दान देना चाहिए। आयु के अनुसार ही सजना - सँवरना चाहिए।

Punishment should be comparable to the offence. Reply only to what is asked.
Ornament should be worn according to economic position. One should behave befitting to ones lineage of birth.

(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan Tarun)

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