43 ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA
MadanMohan Tarun
Nobility
विद्याविनीतो राजा हि प्रजानां विनये
रतः। अनन्यां पृथिविं भुंक्ते सार्व भूतहिते रतः।।
विद्या से विनीत राजा ही प्रजा को विनीत
बनाये रख सकता है। केवल वही राजा पूरी पृथ्वी का सुखोपभोग कर सकता है जो समस्त
प्राणियों के हित- चिंतन में लगा हो।
Only a king who is humbled by knowledge can keep his subjects humbled
.Only a king caring welfare to all can enjoy the pleasures of the whole earth.
(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan
Tarun)
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