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Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA
MadanMohan Tarun
Counseling
मंत्रमूलाः सर्वारम्भाः। मंत्ररक्षणे
कार्यसिद्धिर्भवति। मंत्रविस्रावी कार्यनाशयति।प्रमादादद्विषितां वशमुपयास्यति। सर्वद्वारेभ्यो मंत्रो
रक्षितव्यः।मंत्रसम्पदा राज्यं वर्धते।
सभी कार्यारम्भों का मूलमंत्र मंत्रणा
है।मंत्र-रक्षा से ही कार्यसिद्धि होती है। अपने मंत्र काभेद खोलनेवाला स्वयं ही
अपना विनाशा कर लेता है।मंत्रणा मे प्रमाद करनेवाला शत्रु के अधीन हो जाता है। इसलिए मंत्रणा की सब
प्रकार से रक्षा करे। मंत्र - सम्पदा से ही राज्य की रक्षा होती है।
Commencement of all work is based on consultations. Secret plans bring
success. Those who reveal their secret plans before others , destroy
themselves. Such people are captivated by enemies. So the secrets must be
protected by all means. Secrets save state.
(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan
Tarun)
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