44 ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA
MadanMohan Tarun
Studies
पुराणमितिवृत्तमाख्यायिकोदाहरणम
धर्मशास्त्रं चेतीतिहासः।शेषमहोरात्रभागमपूर्वग्रहण गरहीतपरिचयं च कुर्यात।
अगृहीतानामाभिक्षण्य श्रवणम च। श्रुताधि प्रग्योपजायते प्रग्यया योगो
योगादात्मवत्तेति विद्यासामर्थम्।
इतिहास में पुराण, इतिवृत्त, उदाहरण, और धर्मशास्त्र का समावेश रहता है। दिन और रात्रि के शेष भाग में जो विषय
ग्यात न हो उसका अध्ययन करे। जो विषय पूरी तरह समझ में नहीं आया हो उसे बार- बार सुने।ऐसा करने से प्रग्या
प्रखर होती है। प्रग्या से योग और योग से आत्मविश्वास जाग्रत होता है।
History is the combination of puraanas, events, examples and
dhamashaastras. One should study what one does not know during the remaining
part of day and night. A subject which one has not understood properly should also be heard repeatedly. This makes intellect
sharper. Intellect helps in achieving yoga and yoga gives self confidence.
(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan
Tarun)
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