32 KAUTILYA’S ‘ARTHASHAASTRA’
MadanMohan Tarun
Tejas ,glory
तेजो
हि सन्धानहेतुरतदर्थानम। नाप्तलोही लोहेन संधीयते।
तेज
और प्रभाव से ही कार्य सिद्ध होते हैं। ठंढा लोहा ,लोहे को
जोड॰
नहीं सकता।
We achieve result
by sharpness of our strength . Cold iron
cannot joint the
iron.
(From Kautilya’s ‘ARTHSASTRA ‘ by MadanMohan Tarun)
No comments:
Post a Comment