24 KAUTILYA’S ‘ARTHASHAASTRA’
MadanMohan Tarun
Worth servicing king
लोकयात्राविद्राजानमात्मद्रव्यप्रकृतिसम्पन्नं
प्रियहितद्वारेणाश्रयेत।यं वा मन्येत- यथाहमाश्रयेप्सुरेवमसौ
विनयेप्सुराभिगामिकगुणयुक्त इति द्रव्यप्कृतिहीनमप्येनमाश्रयेत। न
त्वेवानात्मसम्स्न्नम्। अनात्मवान हि
नीतिशास्त्रद्वेषादनथ्यर्संयोगाद्वाप्राप्यापि महदैश्वर्यं न
भवति।आत्मवतिलब्धावकाशः शस्त्रानुयोगं दद्यात।अविसावादाद्धि
स्थानस्थैर्यमवाप्नोति।मतिकरमसुपृषटः तदात्वे च अयत्यां च धर्मार्थसंयुक्तं
समर्थंप्रवीणपदरिज़द्भीरुः कथयेत्। ईप्सितः पणेत धर्मार्थानुयोगमविशिष्टेषु
वलवत्संयुक्तेषु दण्डधारणं मत्संयोगे तदात्वे च दण्डधाेणमिति न
कुर्याः।पक्षंवृत्ति गृह्यं च मे नोपहन्या।शंग्यया च त्वां कामक्रोददण्डनेषु
वारयेयमिति।
किसी अर्थशास्त्र और धर्मशास्त्र तथा
लौकिकग्यान मे कुशल व्यक्ति को ऐसे राजा की सेवा में जाना चाहिए जो उच्च गुणों एवं
चरित्र से सम्पन्न हो। ऐसे राजा के पास यदि कुशल मंत्रीगण नहीं भी हों तो ऐसा राजा
ऐसे राजा से बेहतर है जो चरित्र विहीन है, एक आचरणभ्रष्ट राजा शीघ्र ही अपना सबकुछ खोदेगा। राजा की सेवा में उसके
निकटस्थ लोगों के माध्यम से प्रवेश करना चाहिए, यदि राजा कभी कोई सलाह माँगे तो उसे निर्भीक भाव से शास्त्रोचित सलाह देनी
चाहिए। यदि राजा प्रभावित होकर कदाचित उसे उच्चपद प्रदान करे तो राजा से यह वचन
लेलेना चाहिए कि कभी वह विषय के अनभिग्य व्यक्तियों से सलाह नहीं लेगा और वे जो
सलाह देंगे उसे वह मानेगा।राजा कभी उसके निजी जीवन के रहस्यों में रुचि नहीं
दिखाएगा। कभी नाराज होकर उसे दण्ड नहीं देगा और उसकी जीविका नहीं छीनेगा,
Someone ,well versed in Dharma and Arthashastras
and well equipped with practical worldly knowledge can go in the service of a
king with high character. If such a king of higher values does not have a well
qualified ministerial staff, he is better than those who have ministerial staff
but lack in character. Such kings will certainly lose their every thing one day
for their bad habits and worst company. One should seek service of the king
through the people closer to him. If time comes and king asks him for some
advice, he should advice the king according to Dharma and arthshatras without
any hasitation. Impressed king may offer him someday a post of higher
responsibility, in that case he should get assurance from the king that he will
not take advice from those who are not well versed in shastras. He will not be
angry of his frank suggestions and punish him. He will not interfere in his
personal privacy. He will accept his suggestions if he stops him ever for doing
something wrong.
(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan
Tarun)
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