10 KAUTILYA’S ‘ARTHASHAASTRA’
MadanMohan Tarun
Characteristics of a document
अर्थक्रमाह सम्बन्ध;परिपूर्णता माधुर्यमौदार्य स्पष्टत्वमिति लेखसम्पत।
तत्रयथावदनुपूर्वक्रियाप्रधानस्यार्थस्य
पूर्वभिनिवेशइत्यर्थस्यक्रमः।प्रस्तुतस्यार्थस्यानुपरोधादुत्तरत्य
विधानमासमाप्तेरिति सम्बन्धः। अर्थपदाक्षराणामन्यूनातिरिक्तता
हेतूदाहरणदृष्टान्तैरर्थोपवर्णनाश्रान्तपदेति
परिपूर्णता।सुखोपनेतचावर्थशब्दाभिधानम
माधुर्यम।अग्राम्यशब्दाभिधानमौदार्यम।प्रतीतशब्दप्रयोगः स्पष्टत्वमिति।
सभी लेखों में अर्थक्रम, सम्बन्ध, परिपूर्णता, माधुर्य औदार्य तथा स्पष्टता का होना आवश्यक है।लेख में क्रम की रक्षा ही
अर्थक्रम है। जो पहले कहा जा चुका है और जो बाद में कहा गया है उनकी परस्पर सम्बद्धता ही
सम्बन्ध है। अर्थ, पद, एवं अक्षरों मे कमी या आधिक्य न होना, हेतु, उदाहरण,दृष्टांत और शैथिल्य, का अभाव परिपूर्णता है। ग्यात शब्दों
का प्रयोग,और सरलता ही
माधुर्य है। गँवारू शब्दों का प्रयोग न होना ही औदार्य है। सुप्रचलित शब्दों का
प्रयोग स्पष्टता है।
Every document should be clear in expression and free from ambiguity.
There should be a link between what is
said earlier and what later. It should be complete in every respect. It should
be urban and courteous in expression.
Continuity of the subject is connectivity, absence of more or less use
of words , its steps and meaning and reason ,examples ,courting related events
is ‘poornataa’. Easiness and clarity of meaning is ‘madhurya’, absence of rural
words is ‘audaarya’ and use of well known words ,which can be understood easily
is ‘spashtataa’.
(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan
Tarun)
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