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KAUTILYA’S ‘ARTHASHAASTRA’
MadanMohan Tarun
When the king is displeased
एतदेव विपरीतमतुष्टस्य। भूपस्य
बक्षामः-सन्दर्शने कोपः,वक्यस्याश्रवणप्रतिषेधौ, आसनचक्षुषोरदान,वर्णस्वरभेदः,एकाक्षिभृकुट्योष्टनिर्भोगः,श्वेदस्वासस्मितानामस्थानोत्पत्तिः,परिमंत्रणम्,अकस्माद्व्रजनम्,बंधनमन्यस्य,भूमिगात्रविलेखनम,अन्यस्योपतोदनम्,विद्यावर्णदेशकुत्सा,समदोषनिन्दा,प्रतिदोषनिन्दा,प्रतिलोमस्तवः,सुकृतानवेक्षणम,दुष्कृतानुकीर्तनम,पृषठावधानम,अतित्यागः,मिथ्याभिभाषणम्,राजदर्शिनां च
तद्वृत्तान्यत्वम।
राजा की अप्रसन्नता के लक्षण- देखते ही
क्रोधित हो जाना, बात न सुनना, किसी कि ओर न देखना, बीच में बोलने से रोक देना, बैठने को आसन न देना,आँखें फेर लेना, देखते ही मुख के
वर्ण और स्वर में परिवर्तन आ जाना ,एक आँख से देखना, भौहें तन जाना ,ओष्ट वक्र हो जाना, पसीना आ जाना, श्वास लेना, अट्टहास करना, बड॰बडा॰ना,किसी अन्य से
बातें करने लगना, सहसा उठकर चल
देना, आगन्तुक से न मिलकर किसी और का आदर
करने लगना,भूमि पर अथवा
शरीर पर रेखा सी बनाने लगना, भर्तसना करना,किसी की विद्या, वर्ण और देश की आलोचना करना, उचित कार्यों को भी बुरा कहना,दोष निकालना,द्वेषियों की
प्रशंसा करना,किसी के श्रेष्ठ
कार्य को भी तुच्छ समझना, दोषों को बार -बार कहना,जाते समय उसकी पीठ देखना, कार्यवश निकट आने पर लौटा देना, मिथ्या एवं भावशून्य बातें करना, अन्य राजपुरुषों की तुलना में विपरीत व्यवहार करना।
If the king is not happy , it can be understood by his following
gestures-
Becomes angry at first sight, does not pay ears to his talk, looks at
some other direction, stops while someone talking, does not offer seat, turns
eyes from him, color of his face and tone changes at first look, looks with one
eye, tightens brows, twists lips, perspires, breaths fast, laughs loudly, talks
irrelevant, starts talking to someone else, stands abruptly and leaves, instead
of meeting the person who has come to meet him , prefers to meet someone else,
starts drawing lines on the earth or on his own body, criticizes badly,
criticizes someone’s scholarship, color, country, does not show appreciation
even for is good work, praises his competitors in his presence, finds fault,
says his faults repeatedly, looks at his back when he departs, turns back if
someone comes to him for some work, talks nonsense without any feeling, treats
differently than a individual from royal family needs to be treated.
(From ‘Kautilya’s ‘ARTHASHAASTRA’ by MadanMohan
Tarun)
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