Tuesday, January 8, 2013


28  KAUTILYA’S   ‘ARTHASHAASTRA’

MadanMohan Tarun


Be careful


अग्निवदराजामाश्रयेत।उद्तवेषधरो न भवेत।



अग्नि के समान ही राजा का आश्रय ले। अर्थात जैसे हम आग के
समीप रहते हुए भी उससे सावधान रहते हैं ,वैसे ही राजा के
समीप रहते हुए सावधानी बरतनी चाहिए। राजा के पास कभी उद्धत
रूप में नहीं जाना चाहिए।

While living near the king , one should be as careful as
living near the fire. One should never go before the king in agitated mood.

From Kautilya’s ‘ARTHSASTRA ‘ by MadanMohan Tarun

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