Sunday, September 3, 2017

उषा

ऋगवेद से 20 उषा जो उषाएँ पहले आ चुकी हैं, वर्तमान उषा उन्हीं के मार्ग का अनुसरण कर रही हैं। वे प्राचीन होकर भी नित नवीन हैं। प्रतिदिन जगत को आलोकित करनेवाली उषाओं के स्मृतिकोश में उनका अतीत सुरक्षित है । जो उषाएँ भविष्य में आनेवाली हैं, वे यहाँ कबतक और कहाँ रहेंगी? जिन लोगों ने इसके पूर्व की उषाओं का साक्षात्कार कर लिया है, वे  अब इस संसार में नहीं रहे। जो आज उषा को देख रहे हैं , वे भी अपने पूर्व के दिवंगतों के मार्ग का अनुसरण करेंगे। मात्र उषा देवी ही नित्य हैं। वे सदा आती रहेंगी और प्रकाश फैलाती रहेंगी। प्रतदिन आनेवाली उषा प्राणियों की आयु उसी प्रकार क्षीण करती जाती हैं, जैसे व्याधिनी पक्षियों की संख्या कम करती जाती है। हे उषा ! आपमें सन्निहित जो भी विशिष्टताएँ हैं वे सब हमें अपने जीवनकाल में ही उपलब्ध हों। मित्र, वरुण, अदिति, समुद्र, पृथिवी, दिव्यलोक का संवर्धन करनेवाली समस्त धाराएँ हमारी प्रार्थनाओं को परिपूरित करें। मदनमोहन तरुण

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