Sunday, November 18, 2012

Jalebi


जलेबी

मदनमोहन तरुण

अगर कोई मुझसे पूछे कि दुनियाकी सबसे अच्छी मिठाई कौन सी है तो मैं बिना एक पल भी रुके कहूँगा – जलेबी जलेबी और जलेबी
दुनिया में जलेबी से भी अच्छी कोई मिठाई हो सकती है , यह मैं सोच भी नहीं सकता।
हलवाई की दुकान के पास खडे॰ होकर न जाने कितनी देर तक जलेबी के तैयार होने की जादूई प्रक्रिया देख - देख कर मैं विभोर होता रहा हूँ।
मोटे कपडे॰ की एक छिद्र वाली छलनी में जलेबी का गाढा॰ घोल डाल कर जब उफनते गर्म तेल से भरी कडा॰ही में हलबाई के कलात्मक हाथ गोल- गोल घूम कर कई घुमावों वाली जलेबी को एक नया आकार देदेते हैं और वे गर्म तेल में करारी होकर नाचने लगती हैं तो वह एक शानदार और लुभावना नजारा होता है। कडा॰ही में नाचती पीली -पीली जलेबयाँ मुझे ऐसी लगती हैं जैसे स्वर्ग से पीली रेशमी साडी॰ पहने गोरी - गोरी अप्सराएँ मेरे चारों ओर कल्लोल करती हुई नाच रही हैं। मेरी आँखें मुँद जाती हैं और मैं आनन्द विभोर हो उठता हूँ। इसके बाद जब कडा॰ही की करारी जलेबियाँ चीनी की चासनी के तालाब में उतर कर रस से शराबोर होजाती हैं तब लगता है अप्सराओं ने अपने वस्त्र कहीं और छोड॰ दिये हैं और उनका गुदाज बदन हमें लुभा रहा है। गर्मागर्म रस से शराबोर जलेबियाँ जब मुँह में पहुँचती हैं और जीभ पर सरकती हुई गले से नीचे उतरने लगती हैं तब का आनन्द शब्दों से परे है। लगता है जैसे अंग - अंग रस से सिक्त हो गया है और उनअप्सराओं ने मुझे अपने प्रगाढ॰ आलिंगन में लेलिया है। मेरी आँखें बन्द हो जाती हैं और मैं किसी और लोक में पहुँच जाता हूँ।

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