Friday, June 22, 2012

Origin of all beings on the earth: A mythological approach

RaamaayaN by Vaalmiki -2

Origin of all beings on the earth: A mythological approach

MadanMohan Tarun

Mythology brings every being of the earth on the same platform – gods, human beings, animals, plants, trees, rivers, oceans , sun , moon, clouds, lightning and what not. They meet each –other and talk in the same language. They feel,understand and help each –other. Even their races have same origin.
Ganesha has head of elephant, Narsingha was lion up to head and human being from the rest of his body. There was a incarnation of pig to save the earth. The earth is based on the hoods of serpents and four elephants take care of  the balance of the earth. Ganesha rides on rat, Shiva on bull, Vishnu on the heavenly bird Garuda, Indra on elephant Airaavat,  Durga on lion, Laxmi on owl, Saraswati on goose, Kartikeya on peacock. Vishnu sleeps on the bed of the supreme serpent  SheShanaga, Brahma  sits on the lotus, growing from the naval of Vishnu. River Ganga is  a goddess. Some trees are auspicious and they are worshipped. Crows, sparrows and pigeons  enjoy the company of  human beings.
Ram was helped by monkeys , apes and bears in the war at Lanka with  Ravan. Hanuman has a status of god among Hindus.
Mythology has played a big role in maintaining balance between human and other beings of the earth and with the nature as a whole.


While going to Panchvati with his younger brother Laxman , Ram saw a huge bodied vulture on the way which appeared like a powerhouse of strength. He took him as a monster and asked –‘who are you?’ The vulture gave a mild look at him and said that he was a friend of king Dashrath. Ram paid respect to him and wanted to know his further details . Before introducing himself to Ram , the vulture gave a full detail of origin of beings on the earth.
He said –‘ there were seventeen Prajaapatis , lords of creation, in the beginning. Kardam was first among them ,followed by –Vikrita, Shesha, Sanshrya, Bahuputra, SthaaNu, Marichi, Atri, Kratu, Pulastya, Angiraa, Pracheta or varuN, Pulah, Dakschha, Vivaswaan,  Arishtnami and kashyap.
Dakschha had sixty daughters. They all were famous and illustrious. Eight of them are - Aditi, Diti, Danu, kalka, Taamraa, Krodhvashaa, Manu and Anlaa . They were married to Kashyapa. Pleased with them Kashyap told to his wives ‘You will give birth to sons  who will be the masters of world like me.’ Aditi , Diti, Danu and Kalka attentively listened to what he said others remained indifferent.
Aditi mothered thirty three gods- the twelve Adityas, eight Vasus, eleven Rudras, and the two Aswins.
Diti gave birth to the famous Daityas (demons).They all ruled this earth with forests and oceans under them.
Danu gave birth to Ashwagreeva ,Kalkaa to Naraka and Kaalaka .
Taamraa mothered five famous daughters named Kraunchi, Bhaasi, Shyeni, Dhritraashtri and shuki.
Kronchi gave birth to owls, bhaasi bore Bhaasa a particular race of bird,
 Sheyeni gave birth to hawks and vultures,
Dhiritrashtri bore  Swans and Kalpahansas of all types and Chakravaak  and some other birds. Shuki became mother of a daughter named Nataa ,Nataa gave birth to Vinataa.
Krodhvashaa gave birth to ten daughters -Mrigi and Mrigmandaa, Haree ,Bhadramadaa, Maatangi, Shaarduli, Shwetaa, Surabhi, Sursaa and Kdruka.
All deer are progeny of Mrigi, Mrigmanda mothered  bears, antelopes and
Bhadramada bore a daughter named Iraavati.
 Iravati mothered famous divine elephant Airaavat.
Lions , monkeys and baboons are the progeny of Haree.
Shaarduli bore tigers as her sons.
Maatangi mothered elephants.
Shweta became mother of those glorious elephants who are maintaining balance of this earth from all sides.They are known as Diggajaa.
Surabhi bore two daughters named Rohini and gandharvi. Surabhi mothered cows, buffalos and other cattle.
Gandharvi bore horses as her sons.
Sursaa mothered Nagas and Kadru became mother of snakes.
Manu, wife of Kashyapa, gave birth to human beings.
Anlaa gave birth to all trees, bearing fruits.
Kadru gave birth to thousand Naagaas who support this earth on their hoods.
Garuda and AruN are the two sons of vinataa.

Saying this much, the huge vulture looked at Ram and said – I am son of AruN , mothered by Shyeni. My name is Jataayu. We are two brothers. My elder brother is Sampaati.
AraNya Kand, Canto 14
In some Puranas, this tradition is mentioned with little of difference.


अथ पंचवटीं गच्छन्नन्तरा रघुननन्दनः।आससाद महाकायं गृध्रं भिमोराक्रमम्।।
तम द्रष्ट्वा तौ महाभागौवनस्थं रामलक्ष्मणौ।मेनाते राक्षसं पक्षिं वुवाणौ को भवानिति।।२
ततो मधुरया वाचा सौम्यया प्रीणयन्निव।उवाच वत्स मां विद्धिवयस्यं पितुरात्मनः।।३
स तं पितृसखं मत्वा पूजयामास राघवः। स तस्य कुलमव्यग्रमथ पप्रच्छ नाम च।।४
रामस्य वचनं श्रुत्वा कुलमात्मनमेव च।आचचक्षे द्विजतस्मै सर्वभूतसमुद्भवम्।।५

पूर्वकाले महाबाहो ये प्रजापतयोभवन्।तान् मे निगदतः सर्वानादित; शृणु राघव।।६
कर्दमः प्रथमस्तेषां विकृतस्तदनन्तरम्।शेषश्च संश्रयश्चैव बहुपुत्रश्च वीर्यवान।।७
स्थाणुर्मरीचिरत्रिश्च क्रतुश्चैव महाबलः। पुलस्त्यश्चांगिराश्चैव प्रचेताः पुलहस्तथा।।८
दक्षो विवस्वानपरोरिष्टनेमिश्च राघव।कश्यपश्च महातेजास्तेषामासीच्च पश्चिमः।।९
प्रजापतेस्तु दक्षस्य वभूवुरिति विश्रुताः।षष्टिर्दुहितरो राम यशस्विनयो महायशः।१०
कश्यपः प्रतिजग्राह तासामष्टौसुमध्यमाः ।अदितिं च दितिं चैव दनूमपि च कालकाम।।११
ताम्रां क्रोधवशां चैव मनुं चाप्यनलामपि।तास्तु कन्यास्ततः प्रीतः कश्यप: पुनरब्रवीत।।१2
पुत्रांस्त्रैलोक्यभर्तृन् वै जनयिष्यथ मत्समान्।अदितिस्तन्मना राम दितिश्च दनुरेवच।।१३
कालका च महाबाहो शेषास्त्वमनसोभवन।अदित्यां जज्ञिरे देवास्त्रयस्त्रिंशदरिदमम।।१४
अदित्या वसवो रुद्रा अश्विनौ च परम तप।दनुस्त्वजनयत् पुत्रान दैत्यास्तातयशस्विनः।।१५
तेषामियम वसुमती पुराssसीत् सवनार्णवा।दनुस्त्वजनयत् पुत्रमश्वग्रीवमरिंदम।।१६
 नरकं कालकम चैव कालकापि व्यजायत। क्रौंचीं भासीं तथा श्येनीं धृतराष्ट्रीं तथा शुकीम्।।१७
ताम्रा तु सुषुवे कन्याः पंचैता लोकविश्रुताः।ऊलूकांजनयत कौंची भासी भासान व्यजायत।।१८
श्येनी श्येनांश्चगृध्रांश्च व्यजायत सुतेजसः।धृतराष्ट्री तु हंसाश्च कलहंसाश्च सर्वशः।।१९
चक्रवाकांश्च भद्रं ते विजज्ञे सापि भामिनी। शुकी नतां विजज्ञे तु नतायां विनता सुता।।२०
दश क्रोधवशा राम विजज्ञेsप्यात्मसम्भवाः।मृगीं च मृगमंदां च हरीं भद्रमदामपि।।२१
मतंगी मथ शार्दूलीं श्वेतां च सुरभिं तथा।सर्वलक्षणसम्पन्नां सुरसां कद्रुकामपि।।२२
अपत्यं तु मृगाः सर्वे मृग्यानरवरोत्तमम।ऋक्षाश्च मृगमन्दायाःसृमराश्चमरास्तथा।।२३
ततस्त्विरावतीं नाम जज्ये भद्रमदा सुताम्।तस्यास्त्वैरावत; पुत्रो लोकनाथो महागजः।।२४
हयार्श्च हरयोपत्यम वानराश्च तपस्विनः।गोलांगूलाश्च शार्दूली व्याघ्रांश्चाजनयत् सुतान्।।२५
मातंग्यास्त्वत्वथ मातंगा अपत्यं मनुजर्षभ।दिशागजं तु काकुत्स्थ श्वेता व्यजनयत् सुतम्।।२६
ततो दुहितरौ राम सुरभिर्द्वे व्यजायत।रोहिणी नाम भद्रंते गंधर्वी च यशस्विनाम्।।२७
रोहिण्यजनयद् गावो गंधर्वीम वाजिनः सुतान्।सुरसाजनयन्नागान् राम कद्रूश्च पन्नगान्।।२८
मनुर्मनुष्यांजनयत् कश्यपस्य महात्मनः।ब्रह्मनान क्षत्रियान् वैश्यांशू्द्रांश्च मनुजर्षभ।।२९
सर्वान् पुण्यफलान् वृक्षाननलापि व्यजायत।विनता च शुकीपौत्री कद्रूश्च सुरसासुता।।३१
कद्रूर्नागसहस्रम तु विजज्ञे धरणीधरान्।द्वौ पुत्रौ विनतायास्तु गरुडोsरुण एव च।।३२
तस्मातजातोsहमरुणात सम्पातिश्च ममाग्रजः।जटायुरिति मा विद्धि श्येनीपुत्रमरिमदम।।३३
वाल्मीकीय रामायण ,अरण्यकाण्ड ,सर्ग १४

पंचवटी की ओर जाते हुए राम - लक्ष्मण ने एक विशाल बलशाली गीध देखा। परिचय पूछने पर उसने अपने को राजा दशरथ का मित्र बताया। अपना परिचय देने के पूर्व महागृध जटायु ने समस्त प्राणियों की उत्पति का वृतांत सुनाया। यहाँ ध्यातव्य है कि हर कोई अपना श्रोत,अपनी मूल उत्पत्ति के बारे में जानना चाहता है। पौराणिक गाथाकार (Mythology )की इस सत्य तक पहुँच की अपनी पद्धति है । यहाँ प्रस्तुत विवरण को उसी रूप में देखा जाना चाहिए।
जटायु ने समस्त प्राणियों की उत्पत्ति का विवरण राम के सामने इस रूप में प्रस्तुत किया - पूर्वकाल में सत्रह प्रजापति हुए-१कर्दम २ विकृत ३ शेष ४ संश्रय ५ बहुपुत्र
६ स्थाणु ७ मरीचि ८ अत्रि ९ क्रतु १० पुलस्त्य ११ अंगिरा १२ प्रचेता या वरुण १३ पुलह १४ दक्ष १५ विवस्वान १६ अरिष्टनेमि १७ कश्यप
इन प्रजापतियों मै दक्ष की साठ विख्यात पुत्रियाँ हुईं। इनमें से आठ कश्यप जी की पत्नी बनीं।उनके नाम हैं -अदिति , दिति, दनु, कालका,ताम्रा ,क्रोधवशा ,मनु और अनला।
अदिति के गर्भ से तैतीस देवता - बारह आदित्य ,आठ वसु,ग्यारह रुद्र और दो अश्विनी कुमार - उत्पन्न हुए।
दिति ने दैत्य नामक पुत्र उत्पन्न किए। दनु से अश्वग्रीव, कालका से नरक एवं कालक नाम के पुत्र उत्पन्न हुए।
 ताम्रा से क्रौंची,भासी,श्येनी,धृतराष्ट्री तथा शुकी नाम की पुत्रियों का जन्म हुआ।
इनमें से क्रौंची उल्लुओं की , भासी भास नामक पक्षियों की , श्येनी वाजों और गीधों की तथा धृतराष्ट्री हंसों एवम चक्रवाकों की माँ बनी।
ताम्रा की सबसे छोटी बेटी नता से शुकी और शुकी से विनता नाम की पुत्रियों का जन्म हुआ।
क्रोधवशा के गर्भ से दस पुत्रियों का जन्म हुआ। उनसे अनेक पशु योनि की संतानें हुई जिन्होंने कालक्रम में अपनी वंश - परम्परा - परम्परा का निर्वाह किया।
क्रोधवशा की दस पुत्रियों के नाम इस प्रकार हैं - मृगी, मृगमंदा,हरी ,भद्रमदा, मातंगी,शार्दूली,श्वेता , सुरभि, सुरसा और कद्रुका।
मृगी से मृगों की,मृगमंदा से ऋक्षों, कुछ अन्य पशुओं और हिरणी की वंश - परम्परा चली।
मद्रमदा से इरावती नाम की कन्या का जन्म हुआ।इरावती ऐेरावत नाम से प्रसिद्ध गजराज की माँ बनीं।
हरी से लंगूर वानर तथा शेरों की वंश - परम्परा चली।
 क्रोधवशा की पुत्री शार्दूली बाघों की माँ बनी।
मातंगी हाथियों की माँ बनी और श्वेता ने पुत्र के रूप में दिग्गज को जन्म दिया।
क्रोधवशा की पुत्री सुरभि दो पुत्रियों की माँ बनी।रोहिणी से गायों का जन्म हुआ और गंधवी से घोडों॰ की वंश - परम्परा शुरू हुई।
सुरसा ने नागों और कद्रू नेसाँपों को जन्म दिया।
कश्यप की संतान मनु से मनुष्य जाति उत्पन्न हुई।  
कश्यप - पत्नी अनला से समस्त वृक्ष उत्पन्न हुए।
कश्यपपत्नी ताम्रा की बेटी शुकी थी। विनता उसकी पौत्री थी। कद्रू सुरसा की बहन थी।
सुरसा ने एक हजार नागों को उत्पन्न किया जिस पर यह पृथ्वी अवस्थित है।
विनता के दो पुत्र हुए -गरुड॰ और अरुण।
इतना कहने के पश्चात जटायु ने अपना परिचय देते हुए कहा कि वे अरुण से उत्पन्न श्येनी के पुत्र हैं।उनके बडे॰ भाई का नाम सम्पाति है।
कुछ अन्य पुराणों मैं इस वंश-परम्परा से तनिक भिन्न परम्परा का उल्लेख किया गया है।
Mythology की यह विशेषता है कि उसमें समस्त प्राणी देवता ,मनुष्य, पशु,पक्षी, वृक्ष, नदी , पर्वत,सागर, बादल चाँद ,सूरज सब एक ही मंच पर आजाते हैं और एक - दूसरे की भाषा समझते हैं तथा उनका सहयोग करते हैं।
लंका में युद्ध के समय राम की सेना के सारे सैनिक वानर, लंगूर और भालू थे जिन्होंने रावण की सेना का पूरी तरह विनाश कर दिया।

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