A group of Lingayat cult don't recognise themselves as Hindus.
Wednesday, July 26, 2017
Saturday, July 15, 2017
दाढ़ी, मूँछवाला परिवार
मदनमोहन तरुण
उनके घर में जब भी कोई बच्चा पैदा होता है, उसे देखने वालों की भीड़ लग जाती है।पूरा गाँव, शहर उसे देखने को आ जुटता है।यहाँ तक कि पूरा देश अगले दिन के समाचारपत्र की प्रतीक्षा करता रहता है जिसमें उसका फोटो छपता हो। और सच पूछिये तो भला लोग उसकी प्रतीक्षा करें क्यों नहीं, उनके यहाँ संतान पैदा होना कोई मामूली बात तो नहीं।
उनकी संतानें , चाहे लड़का हो या लड़की, दाढ़ी-मूँछ के साथ जन्म लेती है। पहले का जमाना होता तो लोग कहते शैतान और पिशाचिनी ने जन्म लिया है , लेकिन बदलते जमाने के साथ मान्यताएँ भी बदलती हैं। सो, उस परिवार को हर कोई मूँछवाला परिवार के नाम से ही जानता है।इस परिवार की संतानों की एक विशेषता या विचित्रता यह भी है कि वे जन्म लेते ही जोंक की तरह प्रदेश के शरीर से चिपक कर उसका रक्त चूसने लगती हैं और निरंतर मोटी होती जाती हैं। उनके जन्म का उद्देश्य ही यही है कि वे मोटी और मोटी, केवल मोटी होती जाएँ।मोटा होने मे उनका कोई खर्च नहीं होता, उन्हें बस हर हालत में प्रदेश के शरीर से चिपके रहना पड़ता है।
इनदिनों लोगों को एक बात से बहुत हैरानी हो रही है। उनका परिवार जितना ही मोटा होता जा रहा है , प्रदेश की शेष जनता दिन-व-दिन उतनी ही सूखती चली जारही है।डाक्टरों ने जाँच में पाया है कि प्रदेश की जनता की हड्डियों की गहराई तक इन जोंकों का प्रवेश होचुका है और बड़े-बड़े विशेषज्ञ इसके उपचार के लिए प्रभावशाली औषधियों की खोज में लगे हुए हैं।
एक और बड़ी समस्या यह भी है कि इस परिवार के हर सदस्य का शरीर इतनी तेजी से मोटा होकर चारों ओर फैलता जा रहै कि शेष लोगों के रहने के स्थान की कमी होती जा रही है। कुछ लोग तो पेड़ों पर रहने के लिए बाध्य हो रहे हैं।दूसरीओर उनका फैलता शरीर स्वाभाविक रूप से दूसरों के घरों में पसरता उनका अपना आवास बनते जा रहे हैं , लोगों के खेत-खलिहानों की भी यही हालत है। कहते हैं उनके खेतों में फसलें भी दाढ़ी -मूँछ के साथ पैदा हो रही हैं और उनका आकार जोंक जैसा है।
सच कहा है विधि के विधान को कोई नहीं जानता!
मदनमोहन तरुण
उनके घर में जब भी कोई बच्चा पैदा होता है, उसे देखने वालों की भीड़ लग जाती है।पूरा गाँव, शहर उसे देखने को आ जुटता है।यहाँ तक कि पूरा देश अगले दिन के समाचारपत्र की प्रतीक्षा करता रहता है जिसमें उसका फोटो छपता हो। और सच पूछिये तो भला लोग उसकी प्रतीक्षा करें क्यों नहीं, उनके यहाँ संतान पैदा होना कोई मामूली बात तो नहीं।
उनकी संतानें , चाहे लड़का हो या लड़की, दाढ़ी-मूँछ के साथ जन्म लेती है। पहले का जमाना होता तो लोग कहते शैतान और पिशाचिनी ने जन्म लिया है , लेकिन बदलते जमाने के साथ मान्यताएँ भी बदलती हैं। सो, उस परिवार को हर कोई मूँछवाला परिवार के नाम से ही जानता है।इस परिवार की संतानों की एक विशेषता या विचित्रता यह भी है कि वे जन्म लेते ही जोंक की तरह प्रदेश के शरीर से चिपक कर उसका रक्त चूसने लगती हैं और निरंतर मोटी होती जाती हैं। उनके जन्म का उद्देश्य ही यही है कि वे मोटी और मोटी, केवल मोटी होती जाएँ।मोटा होने मे उनका कोई खर्च नहीं होता, उन्हें बस हर हालत में प्रदेश के शरीर से चिपके रहना पड़ता है।
इनदिनों लोगों को एक बात से बहुत हैरानी हो रही है। उनका परिवार जितना ही मोटा होता जा रहा है , प्रदेश की शेष जनता दिन-व-दिन उतनी ही सूखती चली जारही है।डाक्टरों ने जाँच में पाया है कि प्रदेश की जनता की हड्डियों की गहराई तक इन जोंकों का प्रवेश होचुका है और बड़े-बड़े विशेषज्ञ इसके उपचार के लिए प्रभावशाली औषधियों की खोज में लगे हुए हैं।
एक और बड़ी समस्या यह भी है कि इस परिवार के हर सदस्य का शरीर इतनी तेजी से मोटा होकर चारों ओर फैलता जा रहै कि शेष लोगों के रहने के स्थान की कमी होती जा रही है। कुछ लोग तो पेड़ों पर रहने के लिए बाध्य हो रहे हैं।दूसरीओर उनका फैलता शरीर स्वाभाविक रूप से दूसरों के घरों में पसरता उनका अपना आवास बनते जा रहे हैं , लोगों के खेत-खलिहानों की भी यही हालत है। कहते हैं उनके खेतों में फसलें भी दाढ़ी -मूँछ के साथ पैदा हो रही हैं और उनका आकार जोंक जैसा है।
सच कहा है विधि के विधान को कोई नहीं जानता!
Monday, July 10, 2017
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